2nd term Examination 11th क्लास का जो आप सभी का College में चल रहा है ना तो इस post के माध्यम से आप सभी को बताने वाले हैं की सेकंड टर्मिनल Exam का वायरल पेपर और साथ में आंसर ऑब्जेक्टिव सब्जेक्टिव के कैसे आप सभी लोग देखिएगा इस पोस्ट को अगर आप ध्यान से पढ़ते हैं तो जैसे-जैसे इस पोस्ट के माध्यम से आप सबको हम बता रहे हैं वैसे वैसे आप सभी लोग Follow करके वायरल पेपर और आंसर आसानी से आप लोग देख सकते हैं
Class 11th सेकंड टर्मिनल एग्जाम का कॉपी कहां पर चेक होता है
देखिए जो आप सभी का सेकंड टर्मिनल परीक्षा सभी कॉलेज में चल रहा है ना तो इसका कॉपी आप सभी का आपके कॉलेज में ही चेक होता है ,क्योंकि यह एक टेस्ट एग्जाम है इसका कोई दूसरा सेंटर भी नहीं बनाया जाता है, आपके कॉलेज में ही यह परीक्षा होता है कॉलेज के शिक्षा ही आपका कॉपी को चेक करते हैं
11th 2nd term एग्जाम का रिजल्ट कैसे चेक करें
यह परीक्षा आप सबका एक टेस्ट परीक्षा है इसका रिजल्ट आप अपने से नहीं चेक कर सकते हैं , किसी वेबसाइट या app के माध्यम से भी नहीं इसका रिजल्ट आपके College के शिक्षक या मैडम ही आकर आप सबको हो बताते हैं बिहार बोर्ड इसके लिए भी एक ऐप तैयार करेगी , जिस ऐप के माध्यम से आप सब अपना रिजल्ट आसानी से देख सकते हैं फिलहाल अभी आप सब का रिजल्ट किसी भी माध्यम से आप लोग नहीं देख सकते हैं आप सबके कॉलेज के शिक्षक ही आप सब की परीक्षा हो जाने के कुछ दिन बाद 8 या 9 दिन बाद आपके कॉलेज में ही आपके शिक्षक आकर रिजल्ट को बता दिया जाता है
Class 11th Second Terminal Exam Admit Card
यह एक टेस्ट परीक्षा है इसका कोई डमी एडमिट कार्ड या एडमिट कार्ड नहीं जारी किया जाता है
Class 11th Hindi 2nd Term Exam Objective Answer key November 2024
Q,N | ANS | Q,N | ANS |
1 | A | 16 | A |
2 | C | 17 | B |
3 | B | 18 | C |
4 | D | 19 | B |
5 | A | 20 | B |
6 | C | 21 | D |
7 | B | 22 | A |
8 | D | 23 | B |
9 | A | 24 | B |
10 | A | 25 | B |
11 | B | 26 | B |
12 | C | 27 | B |
13 | D | 28 | B |
14 | C | 29 | C |
15 | D | 30 | D |
2nd term Exam 11th Hindi Subjective Answer key November 2024
- निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबंध लिखें :
(i) वर्तमान में पशुओं की स्थिति
(ii) मेरी अभिलाषा
(iii) मेरी माँ
(iv) कलम का महत्व
उत्तर- (iii) मेरी माँ- बचपन से ही ‘एक माँ की गोद किसी भी अन्य की तुलना में अधिक आरामदायक होती है’, मैं हर एक परिस्थिति मानता हूँ। मेरी माँ एक निस्वार्थ, समर्पित और प्यार करने वाली महिला का एक आदर्श उदाहरण हैं। वह सबसे मजबूत है और मेरे परिवार और मेरी खुशियों के लिए किसी भी हद तक खुद को समर्पित करती है। मेरी माँ निरंतर समर्थन और जीवन में आने वाले हर उतार-चढ़ाव के दौरान मेरे साथ खड़ी रहीं। मेरी माँ मेरी पहली शिक्षिका थीं जिन्होंने मुझे जीवन के हर कदम पर सिखाया और परिवार, समाज और बड़ों का आदर करना सिखया। उन्होंने कभी गलत के आगे न झुकना और गलती पर पहले आगे आकर माफ़ी माँगना सिखाया। जब मैं किसी चीज को लेकर बहुत परेशान हुआ तो उसने धैर्य रखना सिखाया। परिवार में मेरी माँ का योगदान मुझे हमेशा सही रास्ते पर चलते रहने के लिए प्रेरित करता है। मई अपनी माँ को एक जादूगर कहता हूँ, जो मेरे और मेरे परिवार के सभी दुखों को दूर कर देती हैं और बहुत सरे प्यार और देखभाल प्रदान करती हैं। मेरी माँ मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा हैं जिन्होंने मुझे जीवन की सभी कठिनाइयों को पार करके अपने लक्ष्य हासिल करने, और बहादुर बनने की सीख दी।
निम्नलिखित में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दें :
(i) पाठ्यपुस्तक में संकलित सहजोबाई के द्वितीय पद का भावार्थ लिखें ।
(ii) भक्त कवयित्री मीराबाई का जीवन परिचय दें ।
(iii) चित्रपट संगीत क्षेत्र की लता अनभिषिक्त साम्राज्ञी है। कैसे ? पठित पाठ के आधार पर उत्तर दें ।
(iv) पठित पाठ के आधार पर हो-ची-मीन्ह के व्यक्तित्व की विशेषताएँ बताइए ।
(v) श्लेष अलंकार को उदाहरण सहित परिभाषित करें
(i) पाठ्यपुस्तक में संकलित सहजोबाई के द्वितीय पद का भावार्थ लिखें ।
उत्तर- सहजोबाई के दूसरा पद का व्याख्या- वे कहती हैं कि यदि उन्हें राम मिल भी जाएँ अर्थात् भगवान के दर्शन हो भी जाएँ तो भी वे अपने गुरु को भुला नहीं सकतीं। गुरु का महत्त्व तो अक्षुण्ण है। अगर कोई उनसे गुरु को भुलाने के लिए कहेगा तो वह उस भगवान को ही त्याग देंगी, लेकिन अपने गुरु को कभी नहीं भूलेंगी। यदि गुरु उनके सामने हैं तो उनके रहते वह भगवान की ओर देखना भी पसन्द नहीं करेंगी। वास्तव में ईश्वर ने मेरा अपनत्व ही मुझसे छिपा दिया। लेकिन मेरे गुरु चरनदास ने अपने ज्ञान रूपी दीपक के प्रकाश में मुझे आत्मरूप दिखा दिया। ईश्वर ने मुझे भरमाने की बहुत चेष्टा की और बताया कि बंधन में ही मुक्ति है अर्थात् पारिवारिक दायित्वों को निभाना ही जीव की असली मुक्ति है, लेकिन गुरु ने मुझे इस बन्धन से मुक्त होने का सही मार्ग बताया। अंत में कवयित्री सहजोबाई कहती हैं कि जिन गुरु चरनदास ने मेरा सही मार्गदर्शन किया, उन पर मैं स्वयं को तन-मन से न्योछावर करती हूँ। मैं भगवान को तो छोड़ सकती हूँ, परन्तु गुरु को किसी भी स्थिति में नहीं छोड़ सकती।
(ii) भक्त कवयित्री मीराबाई का जीवन परिचय दें।
उत्तर- मीराबाई का जन्म राजस्थान में मेड़ता के पसि चौकड़ी ग्राम में सन् 1498 ई० के आसपास हुआ था। इनके पिता का नाम रतनसिंह था। उदयपुर के राणा सांगा के पुत्र भोजराज के साथ इनका विवाह हुआ था, किन्तु विवाह के थोड़े। ही दिनों बाद इनके पति की मृत्यु हो गयी। मीरा बचपन से ही भगवान् कृष्ण के प्रति अनुरक्त थीं। सारी लोक-लज्जा की चिन्ता छोड़कर साधुओं के साथ कीर्तन-भजन करती रहती थीं। उनकी इस प्रकार का व्यवहार उदयपुर के राज-मर्यादा के प्रतिकूल था। अतः उन्हें मारने के लिए जहर का प्याला भी भेजा। गया था, किन्तु ईश्वरीय कृपा से उनका बाल- बाँका तक नहीं हुआ। परिवार से विरक्त होकर वे वृन्दावन और वहाँ से द्वारिका चली गयीं। और सन् 1546 ई० में स्वर्गवासी हुईं।
(iv) पठित पाठ के आधार पर हो ची-मीन्ह के व्यक्तित्व की विशेषताएं बताइए |
उत्तर- हो-ची-मीन्ह को यदि वितयनाम का गाँधी कहा जाए तो यह अतिशयोक्ति न होगी । हो-ची-मीन्ह एक महान् वियतनामी नेता थे। उन्होंने विदेशी साम्राज्यवाद के शिकंजे में जकड़े वितयनाम को मुक्त कराने में अमूल्य योगदान किया, वितयनाम की जनता को गुलामी से छुटकारा दिला कर निरंतर उन्नति की दिशा में अग्रसर होने के लिए मार्गदर्शन किया। उन्होंने एक प्रकाश से संपूर्ण विश्व को क्रांति, त्याग और बलिदान का पाठ पढ़ाया। फलतः उनकी लोकप्रियता वियतनाम तक ही सीमित न रहकर विश्व भर में फैली और वे विश्वविख्यात हुए। वस्तुतः हो-ची-मीन्ह एक महापुरुष थे, महामानव। उनके व्यक्तित्व में अनेक उच्च मानवीय गुणों का वास था। उनका व्यक्तित्व बड़ा ही प्रभावशाली था। वे ‘सादा जीवन उच्च विचार’ की साक्षात् प्रतिमूर्ति थे तथा ‘अपना काम स्वयं करो’ की नीति पर चलते थे। अपने कठिन एवं अनथक संघर्षों के परिणामस्वरूप जब वे स्वतंत्र वियतनाम के राष्ट्रपति बने, तब भी शाही महल को छोड़ एक साधारण मकान में जीवन स्तर किये। वे अपनी जरूरत के चीजें स्वयं टाइप कर लेते थे तथा कम-से-कम साधनों से अपना जीवन-निर्वाह करते थे। व्यक्तित्व के ये सभी गुण सचमुच सबके लिए आदर्श और अनुकरणीय हैं।
सप्रसंग व्याख्या करें :
“तिन नासी बुधि बल विद्या धन बहु बारी ।
छाई अब आलस कुमति कलह अँधियारी ।।”
अथवा
“कोकिला का स्वर निरंतर कानों में पड़ने लगे तो कोई भी सुनने वाला उसका अनुकरण करने का प्रयत्न करेगा यह स्वाभाविक ही है।”
उत्तर- प्रस्तुत गीतांश में नाटककार कवि भारतेंदु कहता है कि वैदिक जनों ने बौद्धों तथा जैनियों के साथ व्यर्थ ही तर्क-वितर्क करके अपने वैदिक ज्ञान को नष्ट कर लिया। आपसी फूट व झगड़ों के कारण ही यवन सेना भारत को पराजित कर पाई और यवनों ने भारतवासियों की बुद्धि, सम्पदा तथा शक्ति को नष्ट कर डाला। अब तो चारों ओर आलस्य और कुमति का ही अधियारा छाया हुआ है। भारतवासी अंधे तथा अपंग वन दीन-हीन होकर बिलख रहे हैं। हालांकि अंग्रेजी शासन में औद्योगिक विस्तार हुआ है, सुख-सुविधा के साजे-सामान भी बढ़े हैं। किंतु यहाँ का धन धीरे-धीरे ब्रिटेन भेजा जा रहा है, जो कि बहुत ही कष्टदायी है। महँगाई बढ़ गई है। भारतीयों पर तरह-तरह के टैक्स लगाकर अंग्रेज अधिकारी अपनी तिजोरी भर रहे हैं। सम्पूर्ण भारत भारी मुसीबत में घिरा हुआ है। इस परिस्थिति को इसी प्रकार देखते रहना उचित नहीं है। इसलिए हे भारतवासियों, आओ हम सब मिलकर चिन्तन, मनन और विचार-मंथन करें कि कैसे हम भारत की खोई हुई प्रतिष्ठा को दोबारा प्राप्त कर सकते हैं। अब मुझसे भारत की ऐसी दुर्दशा और देखी नहीं जाती।
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